tag:blogger.com,1999:blog-4443758422539412938.post7091701460869230662..comments2023-07-22T13:41:01.847+05:30Comments on आज़ाद नज़्म: शशि भूषण चिराग़ की 7 ग़ज़लेंRavi Kanthttp://www.blogger.com/profile/05330083510753864457noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-4443758422539412938.post-10669295796952172252010-10-02T01:54:35.509+05:302010-10-02T01:54:35.509+05:30रवि कान्त जी..,
आपके हम-ख़याल दोस्त जनाब 'चिरा...रवि कान्त जी..,<br />आपके हम-ख़याल दोस्त जनाब 'चिराग़' साहब के यूं अचानक चले जाने का बेहद अफ़सोस है! ख़ास कर उनके....<br /> <br />जो जिस्म पर थे,सूख गए कब के ऐ 'चिराग़' <br />लेकिन जो रूह पर थे वो छाले नही गए!! और..<br /> <br />चलो नाम अपना 'शजर' पर कुरेदें..,<br />मुहोब्बत की कोई निशानी रहेगी!! या.. <br /> <br />मुझे वो मोतियों में तोल देता..,<br />अगर मैं उसके हक़ में बोल देता!! <br /> <br />अच्छे अश'आर पढ़ कर ये जाना के सचमुच शईरी के ज़खीरे से एक ख़ास वर्क गुम हो गया! खुदा उनकी रूह को तस्कीन बक्शे!<br />चंद अशार उनकी वक़्त-ए-रुखसती की नज़र करता हूँ..!<br /> <br /> <br />बिना गालियों के आलम तनहा-तनहा था,<br />कहीं फिज़ा में, उल्लू कोई बोल रहा था !<br />पैमाने सब औंधे-मुह, खामोश पड़े थे..., <br />और बोतलों के ढक्कन... <br />जैसे,खुलने को तरस रहे थे !!<br /> <br />ऐसे में फिर आसमान से...<br />अश्कों की बरसात हुई.., और,<br />पन्नों के अश-आर सभी बदरंग हो गए !<br />ख़्वाबों और ख़यालों के किरदार,<br />न जाने कहाँ खो गए !!<br /> <br />महरबानियाँ राह्बरों की दिल पर लादे,<br />कुछ अहसान, और दोस्तों के कुछ वादे;<br />चंद रदीफ़ और क़ाफ़ियों के काँधे पर...,<br />खामोशी से गुज़र गया था...<br />एक अजनबी शायर का बेचैन जनाज़ा !!<br /> <br />सन्नाटा था मय-खाने में ! जैसे...<br />रिन्दों की हड़ताल कहीं बरपा हो !!<br /> <br />~ 'आतिश'Lalit Ahluwaliahttps://www.blogger.com/profile/09692147578969754887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4443758422539412938.post-72293304668149285322010-10-02T00:23:51.392+05:302010-10-02T00:23:51.392+05:30बहुत ही सुन्दर पोस्ट .बधाई !बहुत ही सुन्दर पोस्ट .बधाई !ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4443758422539412938.post-7336308895156262602010-10-02T00:07:33.723+05:302010-10-02T00:07:33.723+05:30ईश्वर उनकी आत्मा को सुकून बख्शे ।ईश्वर उनकी आत्मा को सुकून बख्शे ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4443758422539412938.post-11486595164548777722010-10-02T00:05:24.807+05:302010-10-02T00:05:24.807+05:30वाह रविकांत जी क्या गज़लें पढवाई हैं । ऐसे अनमोल श...वाह रविकांत जी क्या गज़लें पढवाई हैं । ऐसे अनमोल शाइर से परिचय करवाने का शुक्रिया ।<br /><br />यकीं है मुझे तू भी पिघलेगा इक दिन<br />कहां तक तेरी बदगुमानी रहेगी<br /><br />मैं उसे चाहता तो हूँ लेकिन<br />इक मेरे चाहने से क्या होगा<br /><br />वक़्त रुक जाएगा वहीं आ कर<br />जब मेरा उनका सामना होगा<br /><br />जो जिस्म पर थे सूख गये कब के ऐ 'चिराग़'<br />लेकिन जो रूह पर थे वो छाले नहीं गये ।<br /><br />किसे मजबूरियाँ होती नहीं हैं<br />अगर कुछ बात थी तो बोल देता ।<br /><br />ये और ऐसे कितने ही शेर दिल को छू गये ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.com