दिल से ग़फ़्लत निकाल दे मौला
हर तरफ़ अम्न हो महब्बत हो
कोई ऐसा भी साल दे मौला
शुक्र दे सब्र दे सदाकत दे
चाहे रंजो-मलाल दे मौला
अम्न का रास्ता दिखे सब को
हाथ में वो मशाल दे मौला
उसका चेहरा नज़र में दे हर पल
हिज्र दे या विसाल दे मौला
सारी दुनिया मुझे लगे अपनी
ऐसे सांचे में ढाल दे मौला
रवि कांत 'अनमोल'
कविता कोश पर मेरी रचनाएं
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ReplyDeleteभारतीय ब्लॉग लेखक मंच
डंके की चोट पर
उसका चेहरा नज़र में दे हर पल
ReplyDeleteहिज्र दे या विसाल दे मौला ...
लाजवाब ग़ज़ल का बेहतरीन शेर है ... सुभान अल्ला ...