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Wednesday, October 7, 2015

ज़िंदगी टूटा हुआ इक खाब है

ज़िंदगी टूटा हुआ इक खाब है
या किसी किस्से का कोई बाब है

हां कभी शादाब था ये दिल मगर
अब कहां इस में वो आबो-ताब है


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