हमारा मिस्री माखन खो गया है
दिए जो ख़ाब हमने ऊँचे-ऊँचे
उन्हीं में नन्हा बचपन खो गया है
महब्बत में समझदारी मिला दी
हमारा बावरापन खो गया है
जहा की दौलतें तो मिल गई हैं
कहीं अख़लाक का धन खो गया है
सुरीली बांसुरी की धुन सुनाकर
कहां वो मद-न-मोह-न खो गया है
रवि कांत 'अनमोल'
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सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकृष्ण जन्माष्टमी के पर पर हार्दिक शुभकामनाये.....
जय श्रीकृष्ण
महब्बत में समझदारी मिला दी
ReplyDeleteहमारा बावरापन खो गया है
जहा की दौलतें तो मिल गई हैं
कहीं अख़लाक का धन खो गया है
बहुत ख़ूब !!