उसकी आँखों में नमी सी रह गई
बर्फ़ ख़ाबों की जो पिघली ज़िहन में
आँख से कोई नदी सी बह गई
मैं भी तन्हा हो गया हो कर जुदा
और वो लड़की अकेली रह गई
आसमानों ने सितम ढाये बहुत
वो तो धरती थी कि सब कुछ सह गई
फूल डाली पर लगा है झूमने
कान में उसके हवा क्या कह गई
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रवि कांत 'अनमोल'
कविता कोश पर मेरी रचनाएं
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वाह. बहुत ही बढ़िया. सभी शेर बहुत अच्छे.
ReplyDeleteदर्द भरे दिल की निकली सुंदर गज़ल.
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