भूख
जब नंगी होकर नाचती है
ज़मीर जल कर राख हो जाता है
और नैतिकता पैरों पर गिर पड़ती है
त्राहि त्राहि कर उठती है
शायद इसी नृत्य को
तांडव कहते हैं
जब नंगी होकर नाचती है
ज़मीर जल कर राख हो जाता है
और नैतिकता पैरों पर गिर पड़ती है
त्राहि त्राहि कर उठती है
शायद इसी नृत्य को
तांडव कहते हैं
रवि कांत 'अनमोल'
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