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Friday, January 22, 2010

प्रश्न

मैं क्या हूँ? क्यों हूँ?
यही प्रश्न अभी तक अनुत्तरित पड़े हैं।
तो क्यों,
तुम्हारे अस्तित्तव का प्रश्न उठाया जाए?
जब मैं स्वयं ही एक प्रश्न हूँ
तो किसी और प्रश्न का उत्तर
क्यों ढूंढता फिरूँ?
अभी तो मुझे
स्वयं का पता लगाना है।
अपनी ही गुत्थियों को
सुलझाना है।
उसके बाद सोचा जाएगा
कि
तुम क्या हो?
हो भी या नहीं?
हो,
तो क्यों हो?
नहीं हो,
तो क्यों नहीं हो?
किन्तु यह सब प्रश्न
अभी क्यों उठाए जाएं?
अभी तो मैं स्वयं ही
एक प्रश्न हूँ।
तुम सा ही कठिन
या तुम से भी कठिन।
और मुझे तलाश है
अपने उत्तर की, तुम्हारे नहीं।

रवि कांत 'अनमोल'

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